| سنو ایشور! | सुनो ईश्वर |
| تم گونگے ہو یا بہرے ہو؟ | तुम गूंगे हो या बहरे हो? |
| سن نہیں پاتے کچھ بھی | सुन नहीं पाते कुछ भी |
| دور کا، نزدیک کا بھی | दूर का,नजदीक का भी |
| تمہارے ہی ایک مندر میں | तुम्हारे ही एक मंदिर में |
| چیختی چلاتی رہی | चीखती चिल्लाती रही |
| ایک معصوم بچی | एक मासूम बच्ची |
| اور تم تھے کہ | और तुम थे कि |
| بیٹھے رہے مندر کی ٹھنڈی چھاؤں میں | बैठे रहे मंदिर की ठंडी छाँव में |
| اور لیتے رہے | और लेते रहे |
| مزہ چھپن (56) ذائقوں کا | स्वाद छप्पन भोगों का |
| . | . |
| سنو ایشور! | सुनो ईश्वर |
| میں نے سنا تھا کہ | मैंने सुना था कि |
| تم رحم دل ہو | तुम दयालू हो |
| دوڑے چلے آتے ہو | दौड़े चले आते हो |
| اپنے بچوں کی ایک پکار پر | अपने बच्चों की एक पुकार पर |
| لمحہ بھر میں | क्षण भर में , |
| اور ہر دکھ درد سے چھٹکارہ دلا دیتے ہیں | और उबार लेते है हर दुःख-दर्द से |
| کیا یہ سچ نہیں ہے؟ | क्या ये सच नहीं है? |
| . | . |
| سنو ایشور! | सुनो ईश्वर |
| میں نے سنا ہے اپنی دادی سے | मैंने सुना है अपनी दादी से |
| تم آئے تھے بھری سبھا میں | तुम आये थे भरी सभा में |
| دروپدی کی ایک پکار پر | द्रोपदी की एक पुकार पर |
| اور بچائی تھی حیا | और बचाई थी लाज |
| اس بھری سبھا میں | उस भरी सभा में |
| میں نے پڑھا ہے دھرم کی موٹی کتابوں میں | मैंने पढ़ा है धर्म की मोटी किताबों में |
| تم آئے تھے ہر زمانے میں | तुम आये थे हर युग में |
| رامائن، مہابھارت، دواپرا یگ (1) میں | रामायण ,महाभारत ,द्वापरयुग में |
| اور میں نے یہ بھی پڑھا ہے | और मैंने ये भी पढ़ा है |
| تمہی نے کہا تھا کہ | तुम्ही ने कहा था कि |
| میں آتا ہوں | मैं आता हूँ |
| ہر یگ میں | हर युग में |
| جب جب ہوتی ہے دھرم کی توہین | जब-जब होती है धर्म की क्षति |
| بدکاری کا فروغ ہو | अधर्म का विस्तार होता है, |
| کیا یہ محض کہا سنی کے دلاسے تھے؟ | क्या ये महज कहना भर था?? |
| . | . |
| سنو ایشور! | सुनो ईश्वर |
| میں نے سنا ہے شروع سے ہی | मैंने सुना है शुरू से ही |
| بچوں میں بھگوان بستے ہیں | बच्चों में भगवान बसते है |
| مگر اُس دن جب وہ | मगर उस दिन जब वो |
| بلکتی رہی تھی مندر کے احاطے میں | बिलखती रही थी मंदिर के परिसर में |
| لگاتی رہی تھی پکار بار بار تمہارے لوٹ آنے کی | लगाती रही थी गुहार बार -बार तुम्हारे लौट आने की |
| کیا اُس دن تم چھٹی پر تھے؟ | क्या उस दिन तुम छुट्टी पर थे?? |
| . | . |
| سنو ایشور! | सुनो ईश्वर |
| اب بہت ہوئی خاموشی | अब बहुत हुई चुप्पी |
| نہیں برداشت ہوتا اب | नहीं सहन होती अब |
| یہ آخری درخواست ہے تم سے | ये आख़िरी दरख़्वास्त है तुमसे |
| ایک ناچیز شاعر کی | एक छोटे कवि की |
| اگر اس بار بھی رہی خاموشی | अगर इस बार भी रही चुप्पी |
| تو میں بھی | तो मैं भी |
| مسترد کر دوں گا | नकार ही दूँगा |
| تمہیں | तुम्हें |
| اور | और |
| تمہاری الہی طاقت!! | तुम्हारी ईश्वरीय सत्ता! |
1: سنسکرت تعلیمات کے مطابق دنیا کے چار ادوار ہیں، ستیہ یگ، تریتا یگ، دواپرا یگ اور کل یگ۔
A Hindi poem 'Suno Eeshwar' by Kapil Joshi
Urdu Translation: Mukarram Niyaz.
Urdu Translation: Mukarram Niyaz.





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